बहाना
चाँद के बहाने हमने उन्हें छत पे बुलाया
और वो तारे गिनते बैठ गए
खता
बेबसी
जो में कहना चाहती हु वो तुम सुनना नहीं चाहते
अजीब कश्मकश में उलझे हम बिछड़ना नहीं चाहते
अपनोको हम खोना नहीं चाहतें
किसी अपने से दूर अब रह नहीं सकते
रात के अंधेरे दिन के उजालोंसे अब ज़्यादा चुभते है
तन्हाई अब किसी के यदोंसे पूरी हों जाती है
दूर जानेका एहसास अब और गहरा हो रहा है
आँसु छिपाना अब और मुश्किल हो रहा है
बेबसी इस दिल की कैसे हम तुम्हें बतायें
कम्बख़्त ये भी हमारे बस में नहीं रहा ।
राह
एक सन्नाटेसि चलती है
राह मेरी अकेली सी
ना कोई ख़्वाब है, ना कोई जुनून
राह तो वैसे सीधी हैमोड़ सारे मन के
रुक जाए तो मंज़िल पालु
चलती रहे तो ज़िंदगी..।
कश्मकश
कहाँ
कहाँ इंतज़ार भी ख़त्म हुआ
कहाँ राह मुड़ गई
कहाँ मंज़िल धुँधली हो गई
कहाँ में एक मुसाफ़िर,
बेनाम बनगया।।।।।
वक़्त
कह गुज़र गया वो लम्हा इंतज़रका
ढूँढते फिरे एक फ़रियाद का
लम्हा लम्हा टूटते सपनोका
हर मोड़ पर बदलती राहका
ज़बान से बदलते अल्फ़ाजोंका
खेल खेलते कटपूतलिका…..
एक अरसा
एएक अरसा गुज़र गया उम्र को नापते…..
कुछ दिन कुछ पल ख़्वाबोंमे रहके
सपनों के दरियाँमे डुबकी लगाके
टीम-टिमाते तारोंमे ख़ुदको भिगोके
एक अरसा हो गया यादोंमे जीते………
दिलकी धड़कनोको अनसुना करके
हर ख़ूबसूरत लमहेको अनदेखा करके
फ़र्ज़ की राह पर सपनोसे दूर होते
सूरज की राह मे चाँद को खोके
एक अरसा हो गया राह चलते………….
कुछ अकेलेपन की आहट सुनते
ख़ुदको दूसरोसे अलग करके
अपनेही साएमे ज़िंदगी बिताते
एक अरसा हो गया अकेला होके………..
ख़ुशबू की तलाश मे फूलोंको ढूँढते
सुख की तलाश मे चैन को खोते
पलकोंके आँसु को पानी बनाते
एक अरसा हो गया चैन की साँस लेके….